शुभारंभ और स्वागत भाषण:
(मंच पर आते हुए और माइक हाथ में लेते हुए)
नमस्कार, आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सम्मानीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। मैं [आपका नाम] आप सभी का आज के इस विशेष अवसर, राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) के कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत करता/करती हूँ।
आज का दिन हमारे देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। सरदार पटेल, जिन्हें लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है, ने देश की एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों की बदौलत ही भारत के अनेक रियासतें एक साथ आकर एक अखंड भारत का निर्माण कर सकीं।
इस अवसर पर, हम उनके महान योगदान और राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।
(रुक कर, मुस्कुराते हुए)
तो आइए, बिना किसी देरी के, आज के इस खास कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं। सबसे पहले हम राष्ट्रगान से इस कार्यक्रम का आगाज करेंगे। मैं आप सभी से अनुरोध करता/करती हूँ कि खड़े होकर राष्ट्रगान में शामिल हों।
(राष्ट्रगान के बाद)
धन्यवाद! अब हम आगे बढ़ते हैं और सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जीवन यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।
सरदार वल्लभभाई पटेल का परिचय:
(जोश में)
हमारे देश के महान नेता, सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था। वे एक स्वतंत्रता सेनानी, एक अद्भुत नेता और स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। उनका सबसे बड़ा योगदान भारतीय रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत का निर्माण करना था।
सरदार पटेल ने कभी हार नहीं मानी और अपने दृढ़ संकल्प के साथ देश को एकजुट रखने के लिए काम किया। उनके इस समर्पण को हम राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में हर साल 31 अक्टूबर को मनाते हैं।
आज के इस दिन पर हम यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि हम भी अपने देश की एकता और अखंडता के लिए समर्पित रहेंगे, ठीक वैसे ही जैसे सरदार पटेल रहे।
राष्ट्रीय एकता की शपथ:
(भीड़ की ओर देख कर)
अब, मैं आप सभी से अनुरोध करता/करती हूँ कि हम सब एक साथ मिलकर राष्ट्रीय एकता की शपथ लें।
(शपथ लेने के लिए निर्देश देते हुए)
कृपया अपना दायां हाथ ऊपर उठाएँ और मेरे साथ दोहराएँ:
“मैं, भारत का नागरिक, यह शपथ लेता/लेती हूँ कि मैं सदैव अपने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए संकल्पबद्ध रहूँगा/रहूँगी। मैं किसी भी प्रकार की हिंसा और भेदभाव से दूर रहूँगा/रहूँगी और अपने देश को एक मजबूत, संगठित और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर संभव प्रयास करूँगा/करूँगी।”
(शपथ पूरी करने के बाद, गर्व से)
धन्यवाद! यह शपथ हमें हमारे देश के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाती है और हमें एकजुट होकर काम करने की प्रेरणा देती है।
विशेष कार्यक्रम:
अब, मैं आप सभी को यह बताते हुए बहुत गर्व महसूस कर रहा/रही हूँ कि आज के इस कार्यक्रम में हम कुछ विशेष प्रस्तुतियों को देखने जा रहे हैं, जिनमें हमारे साथियों द्वारा देशभक्ति से भरे गीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए जाएँगे। यह प्रस्तुतियाँ सरदार पटेल जी की देशभक्ति और हमारे देश की एकता की भावना को और भी गहराई से समझने में मदद करेंगी।
प्रेरणादायक वचन:
आइए अब हम सरदार वल्लभभाई पटेल जी के कुछ प्रेरणादायक वचनों को याद करते हैं, जो हमें हमेशा आगे बढ़ने की शक्ति देते हैं:
- “एकता के बिना स्वतंत्रता बेकार है।”
- “देश की सेवा करने के लिए यदि आपको अपनी जान भी देनी पड़े, तो पीछे मत हटना।”
- “धैर्य और साहस के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाओ, तभी हम अपने देश को सशक्त बना पाएँगे।”
समापन भाषण:
(ध्यान आकर्षित करते हुए)
आज के इस प्रेरणादायक और खास दिन पर हमें यह समझना चाहिए कि देश की एकता बनाए रखना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है। सरदार पटेल की तरह हमें भी अपने देश के लिए निस्वार्थ भाव से काम करना चाहिए। उनकी शिक्षा हमें यह सिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, हम एकजुट होकर ही आगे बढ़ सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि आज के इस कार्यक्रम से आप सभी ने बहुत कुछ सीखा होगा और प्रेरित हुए होंगे।
(मुस्कुराते हुए)
अब इस कार्यक्रम के अंत में, मैं आप सभी से अनुरोध करता/करती हूँ कि एक बार फिर से हम सब मिलकर भारत माता की जय का नारा लगाएँ।
(जोश से नारा लगाते हुए)
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
(अंत में धन्यवाद करते हुए)
आज के इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि हमारी एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जय हिंद!
(माइक छोड़ते हुए मंच से उतरते हैं)
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