Hindi Poem for Independence Day

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Hindi Poem for Independence Day

Independence Day is a special day for all Indians. On this day, we remember the brave people who fought for our freedom. One way to honor them is by reading and reciting patriotic poems. These Hindi Poem for Independence Day make us feel proud of our country and remind us of the sacrifices made by our freedom fighters.

Sure, here are the complete versions of the listed poems in Hindi:

सरफ़रोशी की तमन्ना (बिस्मिल अज़ीमाबादी)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमाँ
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।

खैंच कर लायी है सब को क़त्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर।

ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

झंडा ऊँचा रहे हमारा (श्यामलाल गुप्ता ‘पर्शाद’)

झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।

झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।

हमारा झंडा ऊँचा रहे
हमारा झंडा ऊँचा रहे।

सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा रस छलकाने वाला।

वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन-सारा।

झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (श्यामलाल गुप्ता ‘पर्शाद’)

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा रस छलकाने वाला।

वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन-सारा।

झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।

कदम कदम बढ़ाए जा (वन्देमातरम् रामचन्द्र राव)

कदम कदम बढ़ाए जा
खुशी के गीत गाए जा।

ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाए जा।

कदम कदम बढ़ाए जा
खुशी के गीत गाए जा।

ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाए जा।

तू शेर-ए-हिंद आगे बढ़
मरने से तू कभी न डर।

उठा के झंडा हाथ में
लहरा के दुश्मन पर चल।

कदम कदम बढ़ाए जा
खुशी के गीत गाए जा।

ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाए जा।

ऐ मेरे वतन के लोगों (कवि प्रदीप)

ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी।

संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली।

थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी।

जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

थी खून से लथ-पथ काया, फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गंवा के।

जब अन्त-समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं।

क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

तुम भूल न जाओ उनको, इसीलिए सुनो ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।

मेरा रंग दे बसंती चोला (राम प्रसाद बिस्मिल)

मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला।

माय रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे बसंती चोला।

माय रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे बसंती चोला।

पतली सी एक रस्सी से, आजादी के मतवाले
टकराते हैं सीने पर, आजादी के मतवाले।

दौलत से क्या लेना है, शोहरत से क्या लेना है
नज़रों में रहा बसा, झंडा प्यारा तिरंगा।

मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला।

माय रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे बसंती चोला।

माय रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे बसंती चोला।

जन गण मन (रवीन्द्रनाथ ठाकुर)

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।

पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग।

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग।

तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष मांगे।

गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे।

भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

सारे जहां से अच्छा (मोहम्मद इकबाल)

सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दोसिताँ हमारा।

हम बुलबुलें हैं इसकी
ये गुलसिताँ हमारा।

ग़ुर्बत में हों अगर हम
रहता है दिल वतन में।

समझो वहीं हमें भी
दिल हो जहाँ हमारा।

परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का।

वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।

गोदी में खेलती हैं
इसकी हज़ारों नदियाँ।

गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जनाँ हमारा।

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा
वो दिन हैं याद तुझको।

उतरा तेरे किनारे
जब कारवाँ हमारा।

मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना।

हिन्दी हैं हम वतन है
हिन्दोसिताँ हमारा।

सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दोसिताँ हमारा।

हम बुलबुलें हैं इसकी
ये गुलसिताँ हमारा।

Independence Day Patriotic poems fill our hearts with pride and love for our country. They remind us of the importance of freedom and the bravery of those who fought for it. By reciting these poems, we show our respect and gratitude to our nation’s heroes. Let us always remember their sacrifices and keep their spirit alive in our hearts.

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