सुप्रभात सभी को!
आदरणीय प्राचार्य जी, माननीय शिक्षकों और मेरे प्यारे दोस्तों, आप सभी का इस शानदार कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है। आज यहाँ खड़े होकर मैं बेहद गर्व महसूस कर रहा हूँ। यह कार्यक्रम शायरी की दुनिया में खो जाने का एक सुनहरा मौका है, जहाँ हर एक पल खास होगा।
दोस्तों, जैसा कि ग़ालिब ने कहा था:
“दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।”
आज का यह आयोजन सिर्फ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों की महफ़िल है। तो चलिए, बिना देर किए, इस खूबसूरत सफर की शुरुआत करते हैं।
स्वागत शायरी के साथ
“शुरू हो चुकी है ये महफ़िल-ए-शायरी,
छुप गए ग़म, शुरू हुई ख़ुशी।
हमेशा मुस्कान रहे आपके चेहरे पर,
आईये स्वागत करते हैं आप सभी का इस मंच पर।”
इस शायरी के साथ, आज के इस खास आयोजन का स्वागत करते हैं। यह सिर्फ शायरी नहीं, यह हम सबके जुड़ने का एक माध्यम है।
माहौल बनाने के लिए मज़ेदार एक्ट
चलो दोस्तों, एक मज़ेदार खेल खेलते हैं। मैं एक प्रसिद्ध शायरी का आधा हिस्सा बोलूँगा, और आपको बाकी बोलकर पूरा करना है। तैयार हैं?
पहला:
“बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीदार नहीं हूँ…”
(संकेत: यह ग़ालिब की शायरी है!)
[दर्शकों के जवाब का इंतज़ार करें और सही उत्तर देने वालों के लिए तालियाँ बजाएँ।]
क्या मज़ा आया, दोस्तों? शायरी हमें कैसे जोड़ती है, यह देखकर खुशी होती है।
छोटी कहानी: शब्दों की ताकत
अब मैं आपको एक छोटी कहानी सुनाता हूँ। एक बार, एक प्रसिद्ध कवि बगीचे में टहल रहे थे। उन्होंने एक उदास आदमी को देखा। कवि ने उसे कहा:
“दुख के दिन आएंगे, पर बीत जाएंगे,
खुशी के दिन भी आएंगे, वो याद बन जाएंगे।”
उस आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा, “धन्यवाद! आपने मुझे याद दिलाया कि जिंदगी सुख-दुख का संगम है।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि शब्द कितने ताकतवर और सुकून देने वाले हो सकते हैं।
यादगार कविता
“ज़िंदगी एक कविता है, हर पल इसका रंग है,
कभी सूरज के साथ जगती, कभी चाँद के संग है।
खुशबू सी है हवाओं में, हर मोड़ पर एक गीत है,
ज़िंदगी एक कविता है, जिसमें सभी कुछ मीत है।”
शायरी चुनौती
अब क्यों न एक शायरी प्रतियोगिता हो जाए? मैं एक विषय दूँगा, और आप उस पर अपनी शायरी कह सकते हैं। आज का विषय है “दोस्ती”।
मेरी शायरी:
“दोस्ती का मतलब है हर दुख और सुख में साथ होना,
बिना शब्द कहकर भी एक-दूसरे को समझना।”
अब आपकी बारी! जो भी कुछ कहना चाहते हैं, हाथ उठाएँ।
[सभी के उत्साहवर्धन के लिए तालियाँ बजाएँ।]
शिक्षकों के लिए कविता
हमारे शिक्षकों को समर्पित एक खास कविता:
“आप हैं तो हम हैं, ये सच है बिलकुल,
सीख मिलती है आपसे, हर मंज़िल के लिए मुकम्मल।
शिक्षा का दीपक बनकर आप जगमगाएँ,
हमें जिंदगी के राह पर चलना सिखाएँ।”
दर्शकों को हँसाने के लिए जोक
आइए, अब थोड़ा हँसी-मज़ाक हो जाए।
“एक शायर ने अपनी कविता सुनाई,
सुनने वाले ने कहा – क्या बात है भाई!
शायर बोला – ये तो बस ट्रेलर है,
पूरी फिल्म सुनाने के लिए आप तैयार हैं?”
[हँसी और तालियों के साथ माहौल को हल्का करें।]
कार्यक्रम का समापन
दोस्तों, अब इस खूबसूरत कार्यक्रम को समाप्त करने का समय आ गया है। अलविदा कहने से पहले, एक शायरी प्रस्तुत है:
“अलविदा कहते हैं, पर दिल के कोने में एक दुआ है,
फिर मिलें, इस महफ़िल का यह सपना हमेशा सदा है।”
आदरणीय मेहमानों, शिक्षकों और दोस्तों, आप सभी का धन्यवाद। आपने इस आयोजन को सफल और यादगार बना दिया। शायरी सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावनाओं का जादू है। इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाइए और हर पल को खूबसूरत बनाइए।
एक बार ज़ोरदार तालियाँ बजाकर सभी का धन्यवाद करें।
धन्यवाद, और आपका दिन शुभ हो!